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खूब सताया आपने
याद आया अब गाँव
पांच साल का सत्ता सुख
लौट आया चुनाव|
कुर्सी का था चाव
कुर्सी का है भाव
जब लगी प्रतिष्ठा दांव में
नेताजी तब गाँव में |
चुपड़ी -चुपड़ी बातों से
करने लगे वोटर का शिकार
ऐसा जीवन और कहाँ
ठंडा पानी और बयार,
आपस मे इतना प्यार,
उलट इसके
शहरी जीवन है बेकार |
आप महान जनता हैं
सत्तासीनो की लूट देखो
भ्रष्टो को है छूट देखो
हमारी सरकार बनेगी
विकास की गंगा बहेगी
युवाओ को रोजगार मिलेगा
अपराध पर डंडा चलेगा
गांव का कल्याण होगा
सुन ये ग्रामीण बोले
नेता जी तनिक सुनिए
जब जब हम कॉल किये
आप मोबाइल साथी को
सौंप दिए
तो क्यों शहर में जाते हो
साथी को टिकट दिला दो
हम-तुम हुक्का फूकेंगे
नेताजी भी हंस दिए
जनता ने कमेन्ट कस दिए|
अब पांच साल की उपलब्धि गिनी
सरकार को सुनाई खरी-खोटी,
फिट न बिठी ये गोटी,
कौन कहता है जनता की
यादाश्त होती है छोटी |
कहने लगे
विपक्ष में था इसलिए
योजनाएं रह गई धरी-धरी|
नेताजी सोचन लगे
जनता देगी सहानभूति
पांच साल और उनकी बोलेगी
तूती,
जनता ने कहा सत्ताधारी भी
अन्ना की फोटो चिपकाये
पांच साल बाद लौट आये
तुम जरा लेट आये |
जब तक हमें रोड नहीं
तब तक तुम्हें वोट नहीं |
वक्त की नजाकत समझी
नेताजी ने पांच साल पहले
की चाल चली
जनता बोली ,बस नेताजी
अब पेड वोट और नहीं !
फिर तरकश से छोड़ा तीर
शराब का विदेशी ब्रांड
प्लस थोडा सा अडवांस
मर्द बोले सोरी सर
इस दफे नो चांस |
अब जाति का कार्ड खुला
ये भी हो गया धुंधला
क्षेत्रवाद का जोर लगाया
जनता ने ठुकराया |
नेताजी सिर पकडे
शहर की ओर मुड़े |
जाग जनता जाग
कल नहीं आज |
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