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इन्हें रोक लो!

SWATANTRA SOCH
SWATANTRA SOCH
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किशोरों में बदती नशे के आदत पर चिंता व्यक्त करती एक कविता प्रस्तुत है |

इस छोटी सी उम्र में,
धुंए की जकड से,
चरस के नशे से,
सिगरेट के कशों से ,
इन्हें टोक लो,
इन्हें रोक लो|

ये स्कूली उमर,
किताबों से इतर,
दुनिया से बेखबर,
धुंए के छल्ले उड़ा रही है
मौत को बुला रही है,
इन्हें टोक लो,
इन्हें रोक लो |

इनकी आँखों को देखो,
फूलती साँसों को देखो,
इन नन्हे बाबाओ को,
कोई तों टोक लो,
कोई तों रोक लो|

ये कल का सवेरा,
लिए घुप्प अँधेरा,
माना की इनमें,
न कोई है तेरा,
न कोई है मेरा,
इन धूम्र छल्लो में धुंआ हुई जवानी,
इन्हें कोई तो हाँको,
अरे !
इन्हें तों कोई रोको !

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