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यह व्यंग पूर्णतः काल्पनिक है आप जितना दिमाग खपा सकते हैं खपाएं ———————
पूरा देश अपनी नज़रें टी. वी पर गडाए था| हर नागरिक के मन में यही सवाल कौंध रहा था की आज संसद में पेश होने वाला “जूतापाल बिल २०१२” कितना कठोर होगा | लोग जानते थे की ये बिल कुल मिलाकर लोकपाल बिल से कई गुना मजबूत होगा| मन यही सोच रहा था कि जब जनता सड़कों पे आकर जनलोकपाल मांगती है तो तब नेताओ के तेवर देखने लायक होते हैं | आज जब देश मे नेताओं पर रोज जूते, थप्पड़, स्याही, फेंके जा रहा है, हर नेता दहशत में जी रहा है, उसका बेईमान और भद्दा रूप सबके सामने आ रहा है ऐसे मे इस “दुष्ट नेता समाज” का जूतापाल बिल कितना भयावह होगा कहना कठिन है | संसद कि कार्यवाही शुरू होती है सदन के सारे एमपी हाज़िर हैं और जूतापाल बिल के पक्ष मे माहौल बनाया जा रहा है|
कार्यवाही शुरू हो चुकी है ………………………….
एक मंत्री जी ने जूताफेंकुओं को फांसी कि सजा कि मांग कर डाली, साथ ही ” कहा कि नेताओं पर जूता फेकना संसद कि अवमानना है “, सत्ता पक्ष ने मेज़ थपथपाई, विपक्ष ने चुटकी लेते हुए कहा कि” आप कसाब और अफज़ल को तो फांसी दे नहीं पा रहे हैं, मासूम जूताफेंकुओं को फांसी देंगे,” सारा सदन ठहाकों से गूंज उठा|
जूतापल के पक्ष-विपक्ष में तमाम दलीलें दी गईं| एक अन्य मंत्री जी ने अपने ऊपर हुए हमले को संज्ञान में लाते हुए कहा कि थप्पड़मारुओं को फांसी नहीं तो उम्र कैद तो होनी ही चाहिए, मेरे जैसे वरिष्ट नेता को ये लोग थप्पड़ मरते हैं, कल कहीं आपको भी ……… तो क्या होगा | सफ़ेद कपडे पहनने पर दर लगता है ” हाँ ये ठीक ही कहते हैं “आज तक नेताज़न इन सफ़ेद वस्त्रों के पीछे से ही अपनी कलि करतूतों को अंजाम देते आये हैं इनके लिए ये वस्त्र “व्हाइटनर” का कम करते रहे ” मैंने सोचा|
मंत्री जी कि बातों से सारे सांसदों कि आँखों में आंसू थे और | इस से पहले की पूरा माहौल ग़मगीन हो, एक अन्य नेता जी जो कि अपने चुटीले अंदाज़ के लिए मशहूर थे , का भाषण शुरू हुआ, बोले ये मीडिया, समाजशास्त्री इसे जनता का गुस्सा बताते हैं ये सब बकवास है | ये तो फैशन बन गया है किसी भी नेता पर जूता,चप्पल,स्याही फेंकना|” में तो कहूँगा इन पर देशद्रोह का केस चले आंखिर हमहें इनको हाथ जोड़ने पड़ते है इनकी भाषा- बोली बोलनी पड़ती है, इन्हें जनता- जनार्दन कहते हैं ये फिर भी हम पर हमले करते हैं आदि -आदि ……. | तमाम तर्कों – कुतर्कों के बीच एक प्रधानमंत्री पद के दावेदार ने जूतापाल बिल को संवैधानिक दर्जा दिलाने कि मांग कर डाली और सारे नेताओं ने अपने हाथ खड़े कर समर्थन जताया | अंत में एक मसौदे को कानून का रूप दिया जाता है जो और कानून इस तरह है —————
१– किसी भी नेता की जनसभा में कोई भी व्यक्ति मंच के बाहर अपने जूते उतार कर आएगा| धारा *#@ K के तहत गरीब और आम आदमी अपने मोज़े भी बाहर उतार कर आएगा, क्योंकि वो बदबूदार या फटे हो सकते हैं, जिनसे नेताओं को कोई संक्रमण या बीमारी हो सकती है |
कि उपधारा *#@K-१ पत्रकारों पर भी यह कानून लागू होगा|
२– प्रथम बार जूता मारने पर या फेकने कि कोशिश करने पर ५ लाख का जुर्माना, पार्टी के कार्यकर्ताओं के हाथ से धुनाई मुफ्त | यदि अपराधी पिटाई न चाहे तो नेता मान – हानि का केस कर सकते हैं| और भरी रकम वसूल सकते हैं |.दूसरी बार ऐसा करने पर आजीवन कारावास और दंड|
3 – -माइक, कुर्सी,पन्ने फेकना इसके अंतर्गत सदन के बहार होने पर आयेंगे|
4 — किसी नेता पर स्याही, गोबर, कीचड़ फेकना संसद की अवमानना माना जायेगा, तथा गैर क़ानूनी भी|
इस तरह एक कठोर जूतापाल बिल २०१२ पास हो जाता है| देश के तमाम नेता खुश हैं मिठाई बाँट रहे हैं ,न्यूज़ चैनलों में बकवास कर रहे हैं | एक बार फिर गरीब और आम आदमी की अवहेलना कर उसका मजाक उड़ा रहें हैं , लगता है ये अगस्त क्रांति भूल रहें हैं, जूतापाल क्या बनया इनकी रावण की हंसी थम नहीं रही | लोकपाल के बारे मैं पूछने पर ये चुप्पी साध ले रहें हैं|
नेताओ होश मैं आ जाओ
ये जूतापाल बिल तो महज़ तुम्हारी सोच पर व्यंग है ……….मज़बूत लोकपाल बिल पास कर लो ये हमारी सलाह है | ये जिंदा कौमें ५ साल इंतजार नहीं करेंगी !!!!!!!!!!!!!! याद रखना |
हद हो चुकी है, तुम्हारे भ्रष्टाचार की, अब और नहीं सहेंगे हम हिन्दुस्तानी |
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